ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण 16 कलाओं के साथ अवतरित हुए थे. इसलिए उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं. यदि इनकी बातों को डेली रूटीन बना लें तो हर समस्या का निदान संभव है. आज हम इन्हीं बातों को श्रीकृष्ण का लाइफ मैनेजमेंट कहते हैं. इसलिए जानिए भगवान कृष्ण के लाइफ मैनेजमेंट की चार बातें
ये तो हम भारतीय अच्छी तरह समझते थे. लेकिन क्या है कि कुछ लोग बिना शोधकर्ताओं के कहे मानने को तैयार ही नहीं होते. तो ऐसे लोगों को अब शोधकर्ताओं ने भी बताया कि माँ (Maa) के हाथ से बना खाना क्यों अच्छा लगता है. क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि मां के हाथों से बना खाना इतना टेस्टी क्यों लगता है? आखिर क्यों फाइव स्टार होटल का खाना भी मां के दाल-चावल के आगे फीका लगता है?
Tirumala Tirupati
तिरुमला तिरुपति न केवल धनी मंदिर है, बल्कि इसका एक अनोखा इतिहास भी रहा है. तारीफ़ मंदिर प्रशासन कि भी करनी चाहिए कि उन्होंने अपने विरासत को बखूबी संभाला है. जानिए सबसे अमीर मंदिर (Temple) तिरुमला तिरुपति के विश्व प्रसिद्ध लड्डू का इतिहास.
1. बात लड्डू के प्रसाद की
मंदिर तिरुमला तिरुपति के विश्व प्रसिद्ध लड्डू के प्रसाद को पाना आसान काम नहीं है. यहां के पहले दो लड्डुओं की क़ीमत रियायती दर पर 10 रुपए प्रति लड्डू है.ग्राहकों को दूसरे दो लड्डू 25 रुपए प्रति लड्डू के हिसाब से मिलता है.
2. मिलता कैसे है?
ये लड्डू पाने के लिए आपको लंबी कतार में खड़े होकर हाईटेक कूपन लेना होता है. इसमें सुरक्षा कोड और बायोमेट्रिक विवरण जैसे, चेहरे को पहचानना वगैरह मौजूद होते हैं. इसके बाद कार्यकर्ता एक-एक टिकट की वैधता और लौटाए गए पैसे की जांच करते हैं. तब जाकर कहीं जाकर आपको इस लड्डू को पाने की इजाज़त मिल पाती है.
4. बनता कैसे है?
लड्डू के इस प्रसाद को चने के बेसन, मक्खन, चीनी, काजू, किशमिश और इलायची से बनाया जाता है. इस लड्डू को बनाने का तरीका तीन सौ साल पुराना है. जो कि एक राज़ है. सिर्फ कुछ रसोइयों को ही इसे बनाने का सम्मान और ज़िम्मेदारी दी गई है. वे इसे मंदिर के गुप्त रसोईघर में तैयार करते हैं. इस रसोईघर को ‘पोटू’ कहते हैं. यहां हर दिन तीन लाख लड्डू तैयार होते हैं.
5. वजन भी फिक्स है
लड्डू की अवैध बिक्री को रोकने के लिए इन उच्च सुरक्षा मापदंडों को अपनाया गया है. लड्डू को एक तय मानक के हिसाब से तैयार किया जाता है. सभी लड्डू देखने में एक जैसे होते हैं. यहां तक कि उनका वजन भी तय होता है. जब उसे कड़ाही से निकालकर गर्मागर्म तैयार किया जाता है तब उसका वजन 178 ग्राम होना चाहिए और ज्योंही यह ठंडा होगा इसका वजन कम होकर 174 ग्राम हो जाएगा.
6. क्यों मिला है जियोग्राफिकल इंडिकेटर
साल 2009 में तिरुपति के लड्डू को भौगोलिक संकेत या जियोग्राफिकल इंडिकेटर दे दिया गया था. इसका अर्थ ये है कि कोई चीज़ किसी जगह विशेष से जुड़ जाती है. दूसरे जीआई टैग हासिल पदार्थ, जैसे शैम्पेन और दार्जिलिंग चाय की तरह इस लड्डू की भी दूसरे लोग नकल नहीं कर पाएंगे.
7. अनोखा है मंदिर (Temple) का रसोईघर
इस मंदिर के पास दुनिया का सबसे बड़ा रसोईघर है. इसमें करीब सवा लाख तीर्थयात्रियों के लिए हर दिन खाना बनता है. इसमें 1100 से ज्यादा कर्मचारी दिन-रात तीर्थयात्रियों के लिए नास्ता, दिन का खाना और रात का खाना बनाने में जुटे रहते हैं.
8. रसोई घर का सामान भी कम नहीं है
इस रसोईघर की हर चीज़ विशालकाय है. सब्जी बनाने वाले एक बर्तन में एक बार में सौ किलो सब्जी पकाई जाती है. यहां मौजूद स्टील के एक बड़े कंटेनर में एक हज़ार लीटर सब्जी रखी जा सकती है.
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Google Map
बदलते तकनीक से अब सारे काम आसान होते जा रहे हैं. गूगल मैप का इस्तेमाल अब आम होता जा रहा है. धीरे-धीरे अब यह काफी स्मार्ट भी होता जा रहा है. एक वफादार दोस्त जैसा होता जा रहा है ये. आज आपको बताएँगे गूगल मैप (Google Map) से दोस्ती करने के पांच कारण.
1. पसंदीदा जगह को सेव करें
अपने शहर के अच्छे रेस्तरां को ढूँढने के लिए आप तीन बार वाले आइकॉन को क्लिक करें और ‘योर प्लेस’ का चुनाव करें. फिर सेव्ड ऑप्शन पर क्लिक करें और इसके बाद फेवरिट आइकॉन पर क्लिक करें. इसके बाद दूसरे फेवरिट साइट को जोड़ने के लिए “+” पर क्लिक करें. मैप पर सर्च करने से पहले जगह का नाम डालें जैसा कि आप आम तौर पर सर्च में भी करते हैं.
2. कहाँ है ट्रैफिक ये भी बताएगा
आप जिस दिशा में जा रहे हैं उस दिशा में ट्रैफिक की हालत भी गूगल मैप आपको बताता है. इसके लिए तीन बार वाले आईकॉन पर क्लिक करना होगा. और इसके बाद ‘ट्रैफिक’ पर क्लिक करना होगा. इसके बाद आपको लाल, नारंगी और हरे रंग के तीन रूट दिखेंगे. लाल रूट सबसे ज्यादा जाम वाला होगा, नारंगी उससे कम और हरा रूट सामान्य होगा.
3. गूगल मैप (Google Map) ऑफलाइन मदद भी
गूगल मैप आपके सर्च का कुछ हिस्सा मेमोरी में सेव कर के रखता है. अगर आप दूसरे देश में गए और इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं तो यह बहुत काम का फीचर साबित होता है. जब आप सर्च करते हैं गूगल मैप पर तो सेव, शेयर और डाउनलोड का ऑप्शन आता है. आप इस आखिरी ऑप्शन पर क्लिक कर इसे सेव कर लें.
4. एक से ज्यादा स्टॉप वाले रूट जोड़ने की इजाज़त
गूगल मैप आपको एक से अधिक रूट जोड़ने की इजाज़त देता है. इसके लिए “+” पर क्लिक करें और मैप पर जगहों का चुनाव करें. फिर रूट को व्यवस्थित करने के लिए आपको उन्हें खींच कर लाना होगा.
5. गलती सुधारें और सुझाव भी दें
अगर कोई गलती पाते हैं और चाहते नहीं है कि किसी को इसके बारे में पता चले तो यह ऐप ग़लती सुधारने का मौका देता है. तुरंत ‘सजेस्ट एन एडिट’ लिंक पर क्लिक करें और उसे सही डेटा के साथ भरें. आप अपनी वांछित दिशा में कोई दूसरी जगह भी जोड़ सकते हैं जिसे गूगल मैप दर्शाता भी नहीं है.
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अब ज़माना ऑनलाइन (Online) पेमेंट का है. अब इसका इस्तेमाल आप ट्रेवलिंग के दौरान होने वाले भुगतान के लिए भी कर सकते हैं. इससे आपका भागदौड़ तो बचेगा ही कई बार आपको अच्छा-ख़ासा कैश बैक भी मिल सकता है. यानी आम के आम और गुठलियों के दाम. लेकिन इसके सुरक्षा के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है.
ऑनलाइन (Online) बुकिंग में इन 10 बातों का रखें ध्यान
1. सबसे पहले तो इस बात का ध्यान रखना है कि आपको किसी जानी-मानी ट्रेवल एजेंसी से ही बुकिंग करना है. इससे जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखें.
2. इसके बाद आप ये भी देखें कि वो संस्था किसी ऑथोराइज्ड ट्रेवल एजेंसी से जुड़ी है या नहीं.
3. आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि इससे जुड़ी कौन सी सुविधाएँ आपको मिल रही हैं. यात्रा की तारीख और समय जरुर चेक करें.
4. आज की तारीख में हर चीज का हम बीमा कराते हैं तो फिर ट्रेवेल बीमा भी जरूर कराएंं. लेकिन कंपनी ठीक से जांचने के बाद ही कराएं.
5. बुकिंग कराने से पहले होटल्स आदि की जो भी जानकारी दी गई है उसे अपने लेवल पर वेरीफाई कर लें. इसके लिए आप गूगल और गूगल मैप की सहायता ले सकते हैं.
6. जब आप सारी चीजें पढ़ने समझने के बाद बुकिंग कम्पलीट करने के लिए पेमेंट करने लगें तो पेमेंट की भी सारी नियम और शर्तों पर एक नजर डाल लें.
7. पेमेंट के लिए जब थर्ड पार्टी के इस्तेमाल की बात हो तो ऐसे में सिक्योरिटी की जांच जरुर करें ताकि आपके बैंक खाते की गोपनीयता बनी रहे.
8. ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए हमेशा ब्राउज़र को अपडेट रखें. इससे आप सेफली पेमेंट कर सकेंगे इसका पता आपको यूआरएल में हरा रंग देखकर चलेगा.
9. भरसक प्रयास करें कि सीधे एजेंट के खाते में पेमेंट न करना पड़े लेकिन फिर भी अगर करना पड़े तो साईट की सुरक्षा का ध्यान रखें.
10. भुगतान से जुड़ी सभी रसीदें और इमेल आदि संभाल कर रखें. क्रेडिट कार्ड और बैंक स्टेटमेंट ध्यान से पढ़कर कन्फर्म कर लें कि सब कुछ ठीक से तो हुआ है न.
Mahabharat
हम आम तौर पर महाभारत (Mahabharat) को लड़ाईयों के लिए ही जानते हैं। यहाँ तक कि महाभारत शब्द का प्रयोग भी लड़ाई के पर्यायवाची के रूप में भी करते हैं। लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं महाभारत (Mahabharat) की कुछ प्रेम कहानियाँ.
1. शांतनु और सत्यवती Mahabharat
इन दोनों के प्रेम के कारण ही भीष्म पितामह को आजीवन कुंवारा रहने की प्रतिज्ञा लेनी पड़ी थी. सत्यवती एक मछुवारे की बेटी थीं जबकि शांतनु हस्तिनापुर के महाराज थे. लेकिन सत्यवती की खूबसूरती देखकर राजा शांतनु प्रेम में पड़ गए. बाद में इन दोनों लोगों को भीष्म पितामह ने मिलाया था.
2. अम्बा और शाल्व
इनकी कहानी थोड़ी नाटकीय है. दरअसल काशी की राजकुमारी अंबा और राजा शाल्व के बीच गुपचुप प्रेम चल रहा था. इसे स्थायी बनाने के लिए अम्बा शाल्व को स्वयंवर में अपना पति चुनने वाली थीं. लेकिन भीष्म पितामह ने उनका हरण कर लिया. जब उन्हें उनके प्रेम संबंधों का पता चला तो उन्होंने दोनों को मिलाने की कोशिश की लेकिन शाल्व ने हरण की हुई कन्या से विवाह करने से इंकार कर दिया.
3. महाभारत (Mahabharat) की अनोखी प्रेम कथा
और बात उस कहानी की जो शायद दुनिया की श्रेष्ठतम कहानियों में से एक है. वो है राधा-कृष्ण की. इस कहानी का तो शब्दों में विस्तार से वर्णन कर पाना नामुमकिन है. इतना समझ लीजिए कि ये दो शारीर एक जान थे. ये दोनों एक दुसरे के प्यार में खोकर एक हो गए थे. इसीलिए इन दोनों के प्रेम को सांसारिक दुनिया से परे माना गया है.
4. रुक्मिणी और कृष्ण Mahabharat
कृष्ण को योगी भी कहा गया है. इसीलिए क्योंकि ये एक साथ कई काम कर सकते थे. कहा जाता है कि ये सभी गोपियों के पास एक साथ होते थे. आपको भी पता होगा कि कृष्ण की शादी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी से हुई थी. पारिवारिक मुश्किलों के बावजूद इन दोनों का मेल हुआ और दोनों ने विवाह रचाया.
5. अर्जुन और सुभद्रा
अब बात करते हैं अर्जुन और सुभद्रा की. आपको शायद पता न हो लेकिन सुभद्रा कृष्ण की बहन थीं. अर्जुन इन्हें बहुत पसंद थे लेकिन कृष्ण के बड़े भाई बलराम इस विवाह के पक्ष में नहीं थे. वो सुभद्रा की शादी अपने शिष्य दुर्योधन से कराना चाहते थे. इसलिए कृष्ण ने अर्जुन को उकसाकर सुभद्रा का हरण करा दिया. तब जाकर दोनों का मेल हुआ.
6. हिडिम्बा और भीम
ये कहानी भी थोड़ी फ़िल्मी है. राक्षसी हिडिम्बा को भीम भा गए इसलिए उसने माँ कुंती से प्रणय निवेदन किया जिसे कुंती ने अस्वीकार कर दिया. हिडिम्बा का भाई भी इसके खिलाफ था. उसने भीम समेत पांडवों पर हमला कर दिया. तब हिडिम्बा ने इनकी रक्षा की. इससे खुश होकर कुंती ने एक लड़का होने तक भीम और हिडिम्बा को साथ रहने की अनुमति दे दी.
7. उलूपी और अर्जुन
अर्जुन की भी कई शादियाँ हुयीं थीं. एक घटना है कि मर्यादा भंग करने के कारण वनवास काटते अर्जुन को देखकर नाग कन्या उलूपी उनपर मोहित हो गई. इसलिए उन्हें अचेत करके नागलोक ले गई और वहां दोनों ने शादी कर ली. दूसरी घटना भी अर्जुन के प्रेम विवाह की है. मणिपुर की राजकुमारी चित्रांगदा के साथ भी अर्जुन ने शादी की थी. जिससे बभ्रुवाहन नामक एक पुत्र भी प्राप्त हुआ था.
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कॉल ड्रॉप (Call Drop) की समस्या सिर्फ हमारे यहाँ ही नहीं है. हाँ, ये हो सकता है कि अपने यहाँ ज्यादा हो. कॉल ड्रॉप (Call Drop) का नाम तो सबने सूना है लेकिन इसके बारे में जानकारी सबको नहीं है.
रेडियो वेव्स की फ्रीक्वेंसी का लोचा
कोई भी आवाज़ हम तक वेव के रूप में ही आती है और हर वेव की अपनी फ्रीक्वेंसी होती है. यानी हमें एक निर्धारित फ्रीक्वेंसी की वेव आवाज के रूप में सुनाई देती हैं. इसका अर्थ ये भी हुआ कि बाकी की आवाज़ को हम नहीं सुन सकते. मोबाइल में आवाजों को हम रेडियो वेव्स के जरिये सुनते हैं. इसकी फ्रीक्वेंसी होती है 3 किलोहर्ट्ज़ से 30 गीगाहर्ट्ज़ के बीच होती है. मतलब कम फ्रिक्वेंसी पर बेहतर आवाज मिलता है.
स्पेक्ट्रम का झोल
सभी देशों में स्पेक्ट्रम, सरकार के पास होता है. स्पेक्ट्रम की ऊपरी और निचली लिमिट के बीच एक ही तरह की वेव्स की तमाम फ्रीक्वेन्सीज़ होती हैं. इस स्पेक्ट्रम को फिर अलग-अलग भागों में बांटा जाता है. ऐसा ही एक स्पेक्ट्रम का ढांचा देश में रेडियो वेव्स के लिए बना है. जिसकी सीमा सरकार द्वारा तय होती है लेकिन हमारे पास और देशों के मुकाबले मोबाइल नेटवर्क के लिए छोटा स्पेक्ट्रम है. अपने यहाँ मोबाइल ऑपरेटर्स 10.5 मेगाहर्ट्ज़ के ऐवरेज के स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करते हैं. जबकि वैश्विक स्तर पर ये औसत 50 मेगाहर्ट्ज़ का है. अपने देश के लिए उपलब्ध छोटे से स्पेक्ट्रम को और दर्जनों छोटे-छोटे हिस्सों में बांटा दिया जाता है.
Call Drop: यानी स्पेक्ट्रम और टावर का टोटा
सरकार के इस्तेमाल से बचे हुए स्पेक्ट्रम को मोबाइल कॉल के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इस बचे हुए स्पेक्ट्रम को कंपनियों के लिए और आगे बांटा जाता है. जगह-जगह खड़े मोबाइल टॉवर एक बूस्टर की तरह हैं. यानी ये रेडियो सिग्नल की ताकत को बढ़ाते हैं. जिससे रेडियो वेव्स ज़्यादा दूरी तक जा सकते हैं. यानी टॉवरों के बिना मोबाइल नेटवर्क का आना नामुमकिन है. दिन पर दिन सेलफ़ोन की संख्या बढ़ती ही जा रही है जिसकी वजह से लिमिटेड स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल ज़्यादा होने लगा है. इसलिए पैदा हुए नेटवर्क जाम के कारण कॉल ड्रॉप (Call Drop) की सम्भावनाबढ़ती है. बेहतर ऑडियो और डाटा ट्रांसमिशन के लिए 2 लाख़ और टॉवरों की ज़रूरत है. इसका एक कारण ये भी है.
Read Also: महाभारत (Mahabharat) की कथा शायद आपने सुन रखी हो.
महाभारत (Mahabharat) की कथा शायद आपने सुन रखी हो. लेकिन इसकी सारी बातें नहीं जानते होंगे. क्योंकि इतने बड़े महाकाव्य को समझना इतना आसान नहीं है. पढ़िए इससे जुड़ी 10 बातें.
1. एक कौरव पांडवों के पक्ष में था
धृतराष्ट्र के ही पुत्र युयुत्सु और विकर्ण ने पांडवों के खिलाफ किये कौरवों के ऐक्शन पर आपत्ति जताई थी. इन्होंने चीर हरण का अभी विरोध किया था. अंत में जब सभी कौरव मर गए तब युयुत्सु ही बचा था. क्योंकि लड़ाई की शुरुवात में ही वो पांडवों की तरफ आ गया था.
2. महाभारत (Mahabharat) में एकलव्य का अवतार भी था!
जब कृष्ण, रुक्मिणी को शादी के लिए लेकर जा रहे थे तब जरासंध और शिशुपाल ने उनका पीछा किया था. उस समय एकलव्य ने जरासंध का साथ दिया. इससे क्रोधित होकर कृष्ण ने एकलव्य का वध कर दिया. परन्तु एकलव्य की गुरू निष्ठा के कारण उसे अवतार का वरदान मिला. दूसरे जन्म में एकलव्य द्रौपदी के जुड़वां भाई धृष्टद्युम्न के रूप में जन्में.
3. कृष्ण ने तोड़ दिया अपना वचन
जब अर्जुन और दुर्योधन महाभारत की लड़ाई के लिए कृष्ण के पास सहायता मांगने गए थे तो कृष्ण ने उसी समय कह दिया था कि एक तरफ उनकी सम्पूर्ण सेना रहेगी और दूसरी तरफ निहत्थे वो खुद. तब दुर्योधन ने सेना ले ली थी. लेकिन महाभारत की लड़ाई में भीष्म पितामह ने ऐसा युद्ध किया कि कृष्ण पांडवों में हाहाकार मच गया. फिर कृष्ण, क्रोधित होकर रथ का पहिया उठाकर भीष्म पितामह को मरने दौड़े.
4. भीष्म राजसिंहासन के वास्तविक वारिस थे
भीष्म पितामह के पिता राजा शांतनु और माता गंगा थीं. भीष्म से पहले के 7 पुत्रों को गंगा माँ ने उनके श्राप के कारण उन्हें नष्ट कर दिया. लेकिन 8वें पुत्र को शांतनु ने नष्ट करने से रोक लिया. यही भीष्म पितामह थे. सबसे बड़े होने के कारण सिंहासन के असली वारिस थे. लेकिन अपने पिता की वजह से उन्होंने आजीवन कुंवारा रहने और राजसिंहासन पर न बैठने का वचन ले लिया था.
5. द्रौपदी के स्वयंवर में दुर्योधन क्यों नहीं गया?
दुर्योधन पहले से ही शादीशुदा था और उसने अपनी पत्नी को वचन दे रखा था कि वो दुबारा शादी नहीं करेगा. इसलिए उसने जानबूझकर द्रौपदी के स्वयंवर में भाग नहीं लिया.
6. मामा शकुनि के चाल के पीछे का चाल!
शकुनी शातिर चाल चलने में माहिर थे. दुर्योधन को उन्होंने अपने एजेंडा के अनुसार नचाया. पर इसके पीछे उनका छुपा हुआ एजेंडा था. दरअसल द्रौपदी के पिता सुबल ने प्रतिज्ञा किया था लोग अपने हिस्से का भोजन छोड़ देंगे ताकि एक व्यक्ति मजबूत बने जो कि धृतराष्ट्र से प्रतिशोध से सके. शकुनि को इसी काम के लिए चुना गया था.
7. महाभारत का रचयिता खुद भी उसमें एक चरित्र है
सत्यवती ने तीन वरदान मांगे थे, जिसमें से एक ये था कि उनसे उत्पन्न पुत्र बहुत बड़ा संत बनेगा. इसके बाद सत्यवती ने यमुना के एक द्वीप पर एक पुत्र को जन्म दिया. इसी बच्चे का नाम कृष्ण द्वैपायन था जो आगे चलकर वेदव्यास के नाम से जान गये.
8. सगे भाई थे धृतराष्ट्र और पांडु
जैसा कि ऊपर बताया कि भीष्म ने प्रतिज्ञा ली थी कि वह कभी भी राजसिंहासन पर नहीं बैठेंगे. इसलिए सत्यवती ने अपने पहले पुत्र व्यास को बुलाया जिनके आने के बाद नियोग से दोनो बहुएं गर्भवती हुईं. अंबिका ने धृतराष्ट्र को और अंबालिका ने पांडु को जन्म दिया.
9. विशेष शक्ति से लैस था बर्बरीक
घटोत्कच के पुत्र के पास भगवान शिव के वरदान की वजह से एक विशेष तीर था जिससे लोगों को चिह्नित करके मारा जा सकता था. परन्तु बर्बरीक का प्रण था कि वह हमेशा हारने वाले पक्ष के साथ ही लड़ेंगे. इसलिए कृष्ण ने उनका सिर मांग लिया ताकि युद्ध के पहले रणक्षेत्र को पवित्र किया जा सके.
10. दुर्योधन का असली नाम सुयोधन था
महाभारत (Mahabharat) में कर्मों के अनुसार इनका नाम बदल गया था. दुर्योधन का नाम सुयोधन था. इसी तरह से दुशासन से का नाम भी सुशासन था. लेकिन उनके खराब कार्यों के कारण उनके नाम से सु हट के दु लग गया.
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