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महाभारत (Mahabharat) की कथा शायद आपने सुन रखी हो.

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महाभारत (Mahabharat) की कथा शायद आपने सुन रखी हो. लेकिन इसकी सारी बातें नहीं जानते होंगे. क्योंकि इतने बड़े महाकाव्य को समझना इतना आसान नहीं है. पढ़िए इससे जुड़ी 10 बातें.

1. एक कौरव पांडवों के पक्ष में था
धृतराष्ट्र के ही पुत्र युयुत्सु और विकर्ण ने पांडवों के खिलाफ किये कौरवों के ऐक्शन पर आपत्ति जताई थी. इन्होंने चीर हरण का अभी विरोध किया था. अंत में जब सभी कौरव मर गए तब युयुत्सु ही बचा था. क्योंकि लड़ाई की शुरुवात में ही वो पांडवों की तरफ आ गया था.

2. महाभारत (Mahabharat) में एकलव्य का अवतार भी था!
जब कृष्ण, रुक्मिणी को शादी के लिए लेकर जा रहे थे तब जरासंध और शिशुपाल ने उनका पीछा किया था. उस समय एकलव्य ने जरासंध का साथ दिया. इससे क्रोधित होकर कृष्ण ने एकलव्य का वध कर दिया. परन्तु एकलव्य की गुरू निष्ठा के कारण उसे अवतार का वरदान मिला. दूसरे जन्म में एकलव्य द्रौपदी के जुड़वां भाई धृष्टद्युम्न के रूप में जन्में.

3. कृष्ण ने तोड़ दिया अपना वचन
जब अर्जुन और दुर्योधन महाभारत की लड़ाई के लिए कृष्ण के पास सहायता मांगने गए थे तो कृष्ण ने उसी समय कह दिया था कि एक तरफ उनकी सम्पूर्ण सेना रहेगी और दूसरी तरफ निहत्थे वो खुद. तब दुर्योधन ने सेना ले ली थी. लेकिन महाभारत की लड़ाई में भीष्म पितामह ने ऐसा युद्ध किया कि कृष्ण पांडवों में हाहाकार मच गया. फिर कृष्ण, क्रोधित होकर रथ का पहिया उठाकर भीष्म पितामह को मरने दौड़े.

4. भीष्म राजसिंहासन के वास्तविक वारिस थे
भीष्म पितामह के पिता राजा शांतनु और माता गंगा थीं. भीष्म से पहले के 7 पुत्रों को गंगा माँ ने उनके श्राप के कारण उन्हें नष्ट कर दिया. लेकिन 8वें पुत्र को शांतनु ने नष्ट करने से रोक लिया. यही भीष्म पितामह थे. सबसे बड़े होने के कारण सिंहासन के असली वारिस थे. लेकिन अपने पिता की वजह से उन्होंने आजीवन कुंवारा रहने और राजसिंहासन पर न बैठने का वचन ले लिया था.

5. द्रौपदी के स्वयंवर में दुर्योधन क्यों नहीं गया?
दुर्योधन पहले से ही शादीशुदा था और उसने अपनी पत्नी को वचन दे रखा था कि वो दुबारा शादी नहीं करेगा. इसलिए उसने जानबूझकर द्रौपदी के स्वयंवर में भाग नहीं लिया.

6. मामा शकुनि के चाल के पीछे का चाल!
शकुनी शातिर चाल चलने में माहिर थे. दुर्योधन को उन्होंने अपने एजेंडा के अनुसार नचाया. पर इसके पीछे उनका छुपा हुआ एजेंडा था. दरअसल द्रौपदी के पिता सुबल ने प्रतिज्ञा किया था लोग अपने हिस्से का भोजन छोड़ देंगे ताकि एक व्यक्ति मजबूत बने जो कि धृतराष्ट्र से प्रतिशोध से सके. शकुनि को इसी काम के लिए चुना गया था.

7. महाभारत का रचयिता खुद भी उसमें एक चरित्र है
सत्यवती ने तीन वरदान मांगे थे, जिसमें से एक ये था कि उनसे उत्पन्न पुत्र बहुत बड़ा संत बनेगा. इसके बाद सत्यवती ने यमुना के एक द्वीप पर एक पुत्र को जन्म दिया. इसी बच्चे का नाम कृष्ण द्वैपायन था जो आगे चलकर वेदव्यास के नाम से जान गये.

8. सगे भाई थे धृतराष्ट्र और पांडु
जैसा कि ऊपर बताया कि भीष्म ने प्रतिज्ञा ली थी कि वह कभी भी राजसिंहासन पर नहीं बैठेंगे. इसलिए सत्यवती ने अपने पहले पुत्र व्यास को बुलाया जिनके आने के बाद नियोग से दोनो बहुएं गर्भवती हुईं. अंबिका ने धृतराष्ट्र को और अंबालिका ने पांडु को जन्म दिया.

9. विशेष शक्ति से लैस था बर्बरीक

घटोत्कच के पुत्र के पास भगवान शिव के वरदान की वजह से एक विशेष तीर था जिससे लोगों को चिह्नित करके मारा जा सकता था. परन्तु बर्बरीक का प्रण था कि वह हमेशा हारने वाले पक्ष के साथ ही लड़ेंगे. इसलिए कृष्ण ने उनका सिर मांग लिया ताकि युद्ध के पहले रणक्षेत्र को पवित्र किया जा सके.

10. दुर्योधन का असली नाम सुयोधन था
महाभारत (Mahabharat) में कर्मों के अनुसार इनका नाम बदल गया था. दुर्योधन का नाम सुयोधन था. इसी तरह से दुशासन से का नाम भी सुशासन था. लेकिन उनके खराब कार्यों के कारण उनके नाम से सु हट के दु लग गया.

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