ये तो हम भारतीय अच्छी तरह समझते थे. लेकिन क्या है कि कुछ लोग बिना शोधकर्ताओं के कहे मानने को तैयार ही नहीं होते. तो ऐसे लोगों को अब शोधकर्ताओं ने भी बताया कि माँ (Maa) के हाथ से बना खाना क्यों अच्छा लगता है. क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि मां के हाथों से बना खाना इतना टेस्टी क्यों लगता है? आखिर क्यों फाइव स्टार होटल का खाना भी मां के दाल-चावल के आगे फीका लगता है?
शोधकर्ताओं की मानें तो जो भी खाना प्यार से पकाया जाता है, वह तुलनात्मक रूप से ज्यादा स्वादिष्ट होता है. मां के हाथों से बने खाना के स्वादिष्ट होने के पीछे इमोशनल परसेप्शन है. जिस भी खाने को प्यार, पूरा वक्त देकर, खुशी के साथ और जिसके लिए बनाया जा रहा है उसका ख्याल करते हुए बनाया जाता है, तो वह स्वादिष्ट ही लगता है.
ब्रिटेन के साइकोलॉजिस्ट क्रिस्टी फरगसन ने डेली मेल को दिए एक साक्षात्कार में यह बात कही. क्रिस्टी के मुताबिक, कई अध्ययनों के बाद यह बात साबित हो चुकी है कि जब कोई चीज प्यार से बनायी जाती है तो वह ज्यादा स्वादिष्ट लगती है. खाने का स्वाद बनाने वाली की नीयत पर निर्भर करता है. ब्रिटेन के बर्ड्स आई – फ्रोजन फूड फर्म द्वारा कराए गए सर्वे में पाया गया कि एक नियत समय में, प्यार से पकाए गए खाने को 58 पर्सेंट लोगों ने अपेक्षाकृत अधिक पसंद किया.
इसके लिए टीम ने दो ग्रुप बनाए और उन्हें डिनर सर्व किया. पहले ग्रुप ने अपना खाना एक ऐसा कमरे में खाया, जिसे खूबसूरती से सजाया गया था। इन लोगों को बताया गया कि खाना बहुत प्यार से तैयार किया गया है. वहीं दूसरे ग्रुप को ऐसा खाना दिया गया जिसे कम मेहनत से तैयार किया गया था. साथ ही खाना बनाने वालों को खाना बनाने के लिए मजबूर किया गया था. जब दोनों ग्रुप से पूछा गया तो पहले ग्रुप ने कहा कि उनका खाना बहुत स्वादिष्ट था.